जैसे-जैसे बाज़ार बढा है, वैसे-वैसे कंपनियों ने भी विस्तार किया है और व्यवसायिक दुनिया भी चारो ओर फैल रही है। अब एक ही कंपनी के कई सारे कार्यालय होते हैं, जिसकी वजह से लोगों को भी अपने काम से एक से दूसरे तक भागदौड़ करनी पड़ती है। देश के बड़े व्यापार केंद्रों जैसे कोलकाता, चेन्नै, दिल्ली, बैंगालूरू, गुड़गांव, मुंबई और जयपुर में खासतौर पर ऐसा देखा जा सकता है। पर काम के लिए भागदौड़ में एक चीज़ जो सबसे ज्यादा तकलीफ़ देती है, खासतौर पर तब जब आप किसी दूसरे शहर में हों, वो है शहर में धूमने के लिए एक आसान और आरामदायक माध्यम तलाशना। टैक्सी का सफर अक्सर जेब पर भारी पड़ सकता है और ऑटो वाले भी आपसे औने-पौने दाम वसूल सकते हैं। अगर आप नीचे बताए गए कुछ शहरों में अपने बिज़नेस के सिलसिले में जाएं तो इस तकलीफ़ से बच सकते हैं। शुक्र है यहां मैट्रो है।

कोलकाता

कोलकाता

कोलकाता

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मैट्रो की शुरूआत हुई 1984 में। फ़िलहाल यहाँ 27 किमी की एक लाइन है जो उत्तर से दक्षिण की दिशा में चलती है। इसका उत्तरी टर्मिनस है कवि सुभाष स्टेशन और आखिरी स्टेशन है नोआपारा स्टेशन। इस रास्ते में कुछ प्रमुश स्चेशन्स भी पड़ते हैं जैसे नेताजी भवन, रबिंद्र सदन, जतिन दास पार्क और मैदान । अगर आप काम के सिलसिले में कोलकाता आ रहे हैं तो इन मैट्रो स्टेशन्स के पास कोलकाता में होटल्स बुक करना एक बेहतरीन विकल्प है। जैसे आप FabHotel Ratnakar Residency और FabHotel Arya Regency एसपी मुखर्जी मार्ग, चुन सकते हैं।

चेन्नई

चेन्नई

चेन्नई

2015 में आम जनता के लिए खोले गए चेन्नई मैट्रो में फ़िलहाल दो सक्रीय लाइन हैं। ब्लू लाइन (व़ॉशरमैनपेट-चेन्नई हवाई अड्डा) और ग्रीन लाइन (चेन्नई सेंट्रल- सेंट थॉमस माउंट)। क्योंकि ये दोनों लाइन शहर के दो प्रमुख ट्रांजि हब्ज़ को जोड़ती हैं, आप कहीं भी बेफ़िक्र होकर जा सकते हैँ। ये दोनें लाइन आलांदूर स्टेशन पर मिलती हैं। बहुत से लग्ज़री और सस्ते होटल भी, चेन्नई मैट्रो के आस-पास हैं और आप अपने बजट के हिसाब से इन्हें आसानी से चुन सकते हैं।

दिल्ली

दिल्ली

दिल्ली

164 स्टेशन, 218 किमी का लंबा रूट और रोज़ाना करीब 2.8 मिलियन यात्री। ये आंकड़े बताते है कि दिल्ली मैट्रो देश का सबसे बड़ा, लंबा और व्यस्त रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है। 2002 में 8.3 किमी के एक स्ट्रेच से शरू हुई दिल्ली मैट्रो अब 6 लाइनों तक बढ़ चुकी है। रेड लाइन (दिलशाद गार्डन-रिठाला), ब्लू लाइन (द्वारका सेक्टर 21-नॉएडा सिटी सेंटर/वैशाली), ग्रीन लाइन (कीर्ति नगर-अशोक पार्क मेन/ इंदरलोक-मुंडका), येलो लाइन (समयपुर बादली-हुडा सिटी सेंटर), वॉयलेट लाइन (एस्कॉर्ट्स मुजेसर- कश्मीरी गेट). एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन (नई दिल्ली रेलवे स्टेशन- द्वारका सेक्टर 21 वाया इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा टी 3) । दो नए लाइन, पिंक लाइन ( मुकुंदपुर-शिव विहार) और मजेंटा लाइन (बोटेनिकल गार्डन-जनकपुरी पश्चिम) भी  दिंसंबर 2018तक खुलने वाली हैं और इसेक साथ ही ब्लू लाइन का भी नॉएड़ा इलैक्ट्रिक सिटी तक  विस्तार किया जा रहा है और नॉएडा-ग्रेटर नॉएडा मैट्रो ( नॉएडा सेक्टर 52- ग्रेटर नॉएडा डिपो) भी खोली जाएगी। आप अपने रीट के हिसाब से दिल्ली मैट्रो के पास होटल्स चुन सकते हैँ।

मुंबई

मुंबई

मुंबई

मंबई में अगर लोग किसी चीज़ से घबराते हैं तो वो है सड़कों पर लगने वाला जाम। कोई ज़रूरी बिज़नेस मीटिंग हो या फिर फ़्लाइट पकड़नी हो, अगर आप सड़क से जा रहे हैं तो भरोसा नहीं है कि वक्त पर पंहुचेंगे या नहीं। शुक्र है मुंबई मैट्रो शुरू होने के बाद से लोगों को कुछ तो राहत पंहुची है। अभी इसमें एक सक्रीय़ लाइन है जो मुंबई के औद्योगिक महत्व रखने वाली जगहों से जोड़ती है। 11.4 किमी का ये लाइन पूर्वी मुंबई में वर्सोवा को पश्चिमी मुंबई के घाटकोपर से जोड़ता है। इसके कुछ ज़रूरी स्टेशन में से एक साकिनाका स्टेशन है। ये जानामाना इलाका मुंबई का एक बड़ा व्यावसायिक हब है। अगर आप साकिनाका मेट्रो स्टेशन के पास होटल की तलाश में हैं, तो FabHotel Amour Andheri East,  एक अच्छा ऑप्शन है क्योंकि ये साकीनाका मैट्रो स्टेशन के ठीक सामने है।

गुड़गांव

गुड़गांव

गुड़गांव

एक और शहर, जहां सड़क से आने-जाने में आफ़त हो सकती है। इसलिए सबसे बेहतर है कि, आप दिल्ली मेट्रो की येलो लाइन (दिल्ली से आने पर) पकड़ें, जो सिकंदरपुर स्टेशन पर रैपिड मेट्रो गुड़गांव से जुड़ती है। रैपिड मेट्रो की एक लाइन है, जो एनसीआर के सबसे बड़े कॉमर्शियल क्षेत्र में से एक, डीएलएफ साइबर सिटी के इर्द-गिर्द घूमती है। एक प्रमुख स्थान होने के नाते यहां होटल की भरमार हैं जो मेट्रो के बेहद करीब हैं। सुशांत लोक, डीएलएफ फ़ेज़ 2, साइबर सिटी और डीएलएफ फ़ेज़ 3 उन जगहों में से हैं जो इनमें से एक या दोनों मेट्रो प्रणालियों से जुड़े हुए हैं।

जयपुर

जयपुर

जयपुर

हम अधिकतर भारत के व्यापारिय हब्स के बारे में बात कर रहे हैं, और जयपुर भी इनमें से एक है, लेकिन साथ ही ये देश के सबसे जाने-माने पर्यटक स्थलों में से एक है। बहुत से लोग यहां छुट्टियां मनाने आते हैं। इन दो वजहों से पिंक सिटी में आने वाले यात्रियों की तादाद बहुत बढ़ गई है, लेकिन हर दूसरे बड़े शहर की तरह यहां भी सार्वजनिक यातायात की हालत खराब थी, जिसके और एक बेहतर सिस्टम की आवश्यकता थी। 2015 में जयपुर मेट्रो की शुरूआत के साथ ये आवश्यकता पूरी हुई। फ़िलहाल इसकी एक लाइन है (पिंक लाइन)। ये दक्षिण पूर्व से पूर्वोत्तर की तरफ चलती है और चांदिपोल को  मानसरोवर से जोड़ती है। आप मानसरोवर में  FabHotel Padmavati Palace जैसे होटलों में रह सकते हैं क्योंकि यह मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से केवल 800 मीटर दूर है।मानसरोवर में होटल  बुक करें 

बैंगालूरू

बैंगालूरू

बैंगालूरू

बेंगलुरू अपने ट्रैफ़िक के लिए बदनाम है; मैं आपका हैसला तोड़ना नहीं चाहता पर केवल सच्चाई बता रहा हूँ। शुक्र है कि स्थानीय लोगों और बाहरी यात्रियों के लिए बैंगलोर मेट्रो ने इस समस्या को हल कर दिया है। बैंगलोर के लोग इसे नाम्मा मैट्रो भी कहते हैं। पर्पल लाइन (बाईप्पनहल्ली-मैसूर रोड) और ग्रीन लाइन (नागासंद्रा-येलाचेनहाल्ली) इसकी मौजूदा दो सक्रीय लाइनें हैं। सबसे अच्छी कनेक्टिविटी के लिए, मैजेस्टिक मेट्रो स्टेशन के पास होटल में रहना बेहतरीन विकल्प होगा क्योंकि यह दो लाइनों के बीच इंटरचेंज के रूप में कार्य करता है। FabHotel Arafa Inn गांधीनगर इसके लिए अच्छा विकल्प है क्योंकि यह मेज़ेस्टिक मेट्रो स्टेशन जिसे आधिकारिक तौर पर नदप्रभू हिरिया केम्पेगोड़ा स्टेशन कहा जाता है, उससे एक किमी से भी कम दूरी पर है।

तो अगली बार जब आप अपने काम से या फिर छुट्टियां मनाने इन शहरों में जाएं तो टैक्सी और किराए की गाड़ियों के झंझट से आजादी पाएं और मैट्रो में आरामदायक सफ़र का मज़ा लें।